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Friday, July 3, 2015
Monday, May 4, 2015
S3JOBS CONSULTANCY: BSNL Recruitment 2015 Management Trainees 200 Post...
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Friday, February 13, 2015
S3JOBS CONSULTANCY: UNION BANK RECRUITMENT PROJECT 2015-16 (SPECIALIST...
S3JOBS CONSULTANCY: UNION BANK RECRUITMENT PROJECT 2015-16 (SPECIALIST...: Union Bank of India (herein after called the Bank), a leading listed Public Sector Bank with Head Office in Mumbai and having Pan India, as...
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Saturday, February 7, 2015
S3JOBS CONSULTANCY: BPSC Recruitment 2015 Account Officer 100 Vacancy
S3JOBS CONSULTANCY: BPSC Recruitment 2015 Account Officer 100 Vacancy: Bihar Public Service Commission (BPSC) invites application form as BPSC Recruitment 2015 from the well qualified and eligible candidates ...
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Tuesday, February 3, 2015
बड़े शहर - बड़ी बाते और गाँव के लोग - भाग 1
भाग 1 : बड़े शहरों की और
बहुत दिनों से सोच रहा था की कुछ लिखु किन्तु जब भी लिखना शुरू करता … तो कुछ पंक्तियों के बाद ऐसा लगता की अब क्या लिखू कही कोई ऐसा तो नहीं सोचेगा....... कही कोई वैसा तो नहीं कहेगा.... फिर ये भी विचार आता की ये लेखक लोग कैसे लिख लेते है इतना सारा … जरूर कोई दैवीय शक्ति इनमे होती होगी। (जरूर होती है। ....... माँ सरसवती का आशीर्वाद की शक्ति होती है ) कही कोई मजाक तो नहीं उड़ायेगा। …… कल का छोकरा आज लिखना भी सिख गया है…… (ये मेरा बचपन का दब्बूपन है जो मुझे हर बार कुछ भी नया करने से रोकता है ) हमेशा से यह कह कर रोक गया की ऐसा मत करो....... वैसा मत करो…… ज़माने से डरो। …। हमने ज़माने से डरते डरते पढाई पूरी की (A ctually पढाई तो पूरी हुयी ही नहीं थी..........) फिर बहुत ही नाटकीय ढंग से दिल्ली की और रुख किया....... अरे बाबा रे............. जैसे ही दिल्ली पहुंचे तो क्या देखते है…। आप खुद अनुमान लगा सकते है की एक साधारण गाँव से आया हुआ बहुत ही शर्मीला सा गाँव का छोकरे की क्या हालत हुई होगी। …… इतनी चौड़ी सड़कें........... गाँव की टूटी हुयी आधी कच्ची सड़क का ख्याल आया ………… सायकिल से शहर जाने के दौरान कितनी ही बार कोहनियाँ छिलवायी थी। . यहाँ तो 6 लेन की सड़क एक तरफ थी। …… इतने सारे लोग .... कभी किसी बारात में भी नहीं देखे होगे ............. मेरे एक चाचाजी यहाँ मिलिटरी में थे… (गाँव में अगर कोई आपका पड़ोसी शहर में रहता हो तो वो आपका सबसे पहला डेस्टिनेशन होता है शहर मे.... )…… जैसे तैसे दिल्ली केंट से उनके ऑफिस पहुंच गए. ……… वे सी एस डी केन्टीन में पोस्टेड थे। ……। ऑफिस के बाहर दो कमांडो खड़े थे ...... मेरे हाथ में गाँव का साधारण सा थैला देख कर कड़क आवाज में बोले …… कहाँ से आये हो ?? किससे मिलना है… मेरी हालत तो पहले से ही पतली थी। ………। डरते डरते बोला .... ज़ी मेरे अंकल यहाँ पोस्टेड है… सी एस डी मे… मुझे उनसे मिलना है.... में उनके गाव से आया हु। …… खैर अंकल का नाम सुनकर उनका रुख जरा सा नरम हुअ.... बोले बैठ जा छोरे। … अभी वो ऑफिस से निकलने ही वाले है.... फिर उन्होंने अंदर अंकल को फ़ोन किया सायद अंकल ने उनको बोल दिया था की उसे वहां बैठा लो अभी आता हु……। सर्दियों की शाम के 4 बज रहे थे तभी चाय आ गयी। .... एक कमांडो ने बोला पिले भाई ....... तुम्हारे अंकल अभी आ रहे है.…………। में चाय पीते हुए अपने भविष्य के बारे में सोच रहा था.…… कितने अरमान लेकर माँ बाबा ने मुझे घर से कमाने के लिए भेजा था। ....... एक्चुअली घर में से आज तक कोई भी बाहर कमाने नहीं निकला था ना ............... बाबा ने तो ज्यादा कुछ उम्मीद नहीं लगायी थी फिर भी मन में टीस तो थी ही की मेरे घर से भी एक जन कमाने के लिए बाहर जाये क्योकि लगभग सभी घरों में कोई न कोई बाहर था। गाँव में अगर आपके घर का कोई पुरुष बाहर देश में कमाता है तो बड़ी बात होती है। कुछ लेनदेन करना हो तो आराम से हो जाता है। "अपना बाबू पैसा भेजेगा तो वापस कर देंगे।" ऐसा बोल कर कितने ही काम आराम से निकाल लिए जाते थे। लेकिन मेने तो अभी तक अपनी पढाई भी पूरी नहीं थी अभी तक इसलिए पता नहीं कैसी नौकरी लगने वाली थी या फिर यू कहु की क्या में भी अपने माँ बाबा के अरमानो को पूरा कर पाउगा या फिर बाकि औरो की तरह केवल अपना पेट भर पाने लायक कमा पाउगा।
बहुत दिनों से सोच रहा था की कुछ लिखु किन्तु जब भी लिखना शुरू करता … तो कुछ पंक्तियों के बाद ऐसा लगता की अब क्या लिखू कही कोई ऐसा तो नहीं सोचेगा....... कही कोई वैसा तो नहीं कहेगा.... फिर ये भी विचार आता की ये लेखक लोग कैसे लिख लेते है इतना सारा … जरूर कोई दैवीय शक्ति इनमे होती होगी। (जरूर होती है। ....... माँ सरसवती का आशीर्वाद की शक्ति होती है ) कही कोई मजाक तो नहीं उड़ायेगा। …… कल का छोकरा आज लिखना भी सिख गया है…… (ये मेरा बचपन का दब्बूपन है जो मुझे हर बार कुछ भी नया करने से रोकता है ) हमेशा से यह कह कर रोक गया की ऐसा मत करो....... वैसा मत करो…… ज़माने से डरो। …। हमने ज़माने से डरते डरते पढाई पूरी की (A ctually पढाई तो पूरी हुयी ही नहीं थी..........) फिर बहुत ही नाटकीय ढंग से दिल्ली की और रुख किया....... अरे बाबा रे............. जैसे ही दिल्ली पहुंचे तो क्या देखते है…। आप खुद अनुमान लगा सकते है की एक साधारण गाँव से आया हुआ बहुत ही शर्मीला सा गाँव का छोकरे की क्या हालत हुई होगी। …… इतनी चौड़ी सड़कें........... गाँव की टूटी हुयी आधी कच्ची सड़क का ख्याल आया ………… सायकिल से शहर जाने के दौरान कितनी ही बार कोहनियाँ छिलवायी थी। . यहाँ तो 6 लेन की सड़क एक तरफ थी। …… इतने सारे लोग .... कभी किसी बारात में भी नहीं देखे होगे ............. मेरे एक चाचाजी यहाँ मिलिटरी में थे… (गाँव में अगर कोई आपका पड़ोसी शहर में रहता हो तो वो आपका सबसे पहला डेस्टिनेशन होता है शहर मे.... )…… जैसे तैसे दिल्ली केंट से उनके ऑफिस पहुंच गए. ……… वे सी एस डी केन्टीन में पोस्टेड थे। ……। ऑफिस के बाहर दो कमांडो खड़े थे ...... मेरे हाथ में गाँव का साधारण सा थैला देख कर कड़क आवाज में बोले …… कहाँ से आये हो ?? किससे मिलना है… मेरी हालत तो पहले से ही पतली थी। ………। डरते डरते बोला .... ज़ी मेरे अंकल यहाँ पोस्टेड है… सी एस डी मे… मुझे उनसे मिलना है.... में उनके गाव से आया हु। …… खैर अंकल का नाम सुनकर उनका रुख जरा सा नरम हुअ.... बोले बैठ जा छोरे। … अभी वो ऑफिस से निकलने ही वाले है.... फिर उन्होंने अंदर अंकल को फ़ोन किया सायद अंकल ने उनको बोल दिया था की उसे वहां बैठा लो अभी आता हु……। सर्दियों की शाम के 4 बज रहे थे तभी चाय आ गयी। .... एक कमांडो ने बोला पिले भाई ....... तुम्हारे अंकल अभी आ रहे है.…………। में चाय पीते हुए अपने भविष्य के बारे में सोच रहा था.…… कितने अरमान लेकर माँ बाबा ने मुझे घर से कमाने के लिए भेजा था। ....... एक्चुअली घर में से आज तक कोई भी बाहर कमाने नहीं निकला था ना ............... बाबा ने तो ज्यादा कुछ उम्मीद नहीं लगायी थी फिर भी मन में टीस तो थी ही की मेरे घर से भी एक जन कमाने के लिए बाहर जाये क्योकि लगभग सभी घरों में कोई न कोई बाहर था। गाँव में अगर आपके घर का कोई पुरुष बाहर देश में कमाता है तो बड़ी बात होती है। कुछ लेनदेन करना हो तो आराम से हो जाता है। "अपना बाबू पैसा भेजेगा तो वापस कर देंगे।" ऐसा बोल कर कितने ही काम आराम से निकाल लिए जाते थे। लेकिन मेने तो अभी तक अपनी पढाई भी पूरी नहीं थी अभी तक इसलिए पता नहीं कैसी नौकरी लगने वाली थी या फिर यू कहु की क्या में भी अपने माँ बाबा के अरमानो को पूरा कर पाउगा या फिर बाकि औरो की तरह केवल अपना पेट भर पाने लायक कमा पाउगा।
खैर ड्यूटी पूरी करके अंकल बाहर आये.…… मैने चरण स्पर्श किये और हम सेना की बड़ी वाहन में बैठ कर महिपालपुर आ गये… अंकल ने यहाँ पर एक कमरा ले रखा था जिसमे वे अपने दूसरे साथी के साथ रहते थे।
ये एक हरयाणवी सज्जन का घर था जिसके दो बेटे थे। .... दोनों बेटे किसी प्राइवेट कंपनी में काम करते ठे.... एक बूढी माँ थी और वे खुद थे। ये एक चार कमरो का घर था जिसके आगे एक छोटा सा आँगन था। गेट में घुसते ही दायी और। लेट बाथ बने हुए थे आँगन में एक सिरस का बहुत पुराना दरख़्त था जो अपनी आधी पीली पत्तियों से आँगन में खुशिया बिखेरता रहता था। हरयाणवी सज्जन की पत्नी एक बुजुर्ग महिला थी जिसने इस हिंदुस्तान के दोनों दौर देखे थे। आजादी के पहले और बाद … दोनों समय का कालांतर उनकी बूढी आँखों में साफ साफ देखा जा सकता था। पुराना खद्दर का पहनावा उनके व्यक्तित्व को बुजुर्गियत का एक नया आयाम देता था। अंकल ने उन चार में से बायीं और सबसे आखरी वाला कमरा ले रखा था जिसका किराया 4 हजार रुपये प्रति माह था। आज से ये ही मेरा अस्थायी ठिकाना था..... कमरा 12 X 12 का था जिसमे आखरी में दो पट्टी डाल कर रसोई के जैसा बनाया हुआ था। . उसके थोड़ा सा और ऊपर पट्टी डाल कर सामान रखने की टांड बनायीं हुयी थी। जरुरत भर के खाने के बरतन थे जो अंकल और उनके दोस्त ने पहले से खरीद कर रखे थे।
ये एक हरयाणवी सज्जन का घर था जिसके दो बेटे थे। .... दोनों बेटे किसी प्राइवेट कंपनी में काम करते ठे.... एक बूढी माँ थी और वे खुद थे। ये एक चार कमरो का घर था जिसके आगे एक छोटा सा आँगन था। गेट में घुसते ही दायी और। लेट बाथ बने हुए थे आँगन में एक सिरस का बहुत पुराना दरख़्त था जो अपनी आधी पीली पत्तियों से आँगन में खुशिया बिखेरता रहता था। हरयाणवी सज्जन की पत्नी एक बुजुर्ग महिला थी जिसने इस हिंदुस्तान के दोनों दौर देखे थे। आजादी के पहले और बाद … दोनों समय का कालांतर उनकी बूढी आँखों में साफ साफ देखा जा सकता था। पुराना खद्दर का पहनावा उनके व्यक्तित्व को बुजुर्गियत का एक नया आयाम देता था। अंकल ने उन चार में से बायीं और सबसे आखरी वाला कमरा ले रखा था जिसका किराया 4 हजार रुपये प्रति माह था। आज से ये ही मेरा अस्थायी ठिकाना था..... कमरा 12 X 12 का था जिसमे आखरी में दो पट्टी डाल कर रसोई के जैसा बनाया हुआ था। . उसके थोड़ा सा और ऊपर पट्टी डाल कर सामान रखने की टांड बनायीं हुयी थी। जरुरत भर के खाने के बरतन थे जो अंकल और उनके दोस्त ने पहले से खरीद कर रखे थे।
जारी ………………
S3JOBS CONSULTANCY: अगर आप 10वीं या 12वीं पास हैं तो आपके लिए रक्षा मं...
S3JOBS CONSULTANCY: अगर आप 10वीं या 12वीं पास हैं तो आपके लिए रक्षा मं...: 1. HQ W NC, M u m b a i in v i t es a ppl i cat i o n s fr o m the e l i g i bl e ca n d i d a tes to a pp l y o nl...
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Monday, February 2, 2015
The Uros, Floating Islands of Lake Titicaca, Peru
Uros Floating Islands on the lake of Titicaca, Peru — One of the earliest pre-Inca cultures of Peru. The Uros Island is one of the most famous islands of Lake Titicaca , is located 6 km from the port of Puno and located at a height of about 3,800 meters, is an amazing archipelago of 40 islands of totora, inhabited by the Uros, direct from one of the oldest cultures of the continent descendants. The origin of the town Uro was lost in the labyrinths of history, but presumably descended from Pukinas , one of the oldest communities in South America. The men of this floating community claim to be the owners of the waters of Lake Titicaca. The lake Titicaca is one of the most enigmatic and popular. Natural border between Bolivia and Peru, but, nevertheless, does not freeze due to salinity level, Good size and height. Its deep blue color of because of its depth, reaches 280 meters in some places and its landscape surrounded by mountains make it a wonder of nature.
Image credit Pet_r
The totora reed is plentiful along the edges of lake Titicaca. The Uru people use them to make their homes, their furniture, their boats, and the islands they live on. Its dense roots support the top layer, which rots and must be replaced regularly by stacking more reeds on top of the layer beneath. The islands are about 4-8 feet thick, they change in size, and more are created as the need arises. Each step on the island sinks about 2-4 inches. It feels soft and spongy when you walk, almost like you’re walking on a waterbed.
The home of fierce and brutal people; were subdued by the Incas who considered them as a subhuman people. These people lived in perfect harmony with the Titicaca and lived exclusively on artificial islands they wove on the shallows of the lake. As a pure breed is extinct since the mid-twentieth century, their descendants are today miscegenation uro Aymara speak Aymara, and retain many of their ancient customs. The Uros call themselves the Kotsuña "The town lake." where coexist in a social political organization away from traditional forms of modern civilization.
Image credit crossily
The Uros live on woven reed islands to form a floating layer called Khili , and attached to the bottom of the lake. Normally each island belongs to a family clan and is inhabited between 3-10 families. Then the natives built their house, hut also woven reeds, impervious to rain ceilings, but inside there is high humidity so often suffering from rheumatism at a young age. Food is cooked with fires placed on piles of stones. To relieve themselves, tiny outhouse islands are near the main islands. The ground root absorbs the waste. There are 80 floating islands which make up the district of Los Uros in Puno. Some of them have restaurants, churches and primary schools, all of a remarkable instability, very rustic and basic aspects. Residents move from one island to another using small and colorful boats (canoes), also built based on the cattail, raw material which serves to build their homes, by way of huts that can be triangular or square with roof gable, the people of Los Uros talk about these útlimas as "modern" houses. The main activities of the population in Los Uros are fishing, net making and crafts. Beautiful cloaks women spin alpaca wool that after months of manual labor, offer tourists who visit its islands or take Puno to sell. Extreme poverty is one of the main features in the valley of Los Uros, although the friendly people there do not seem very anxious about it. Surprised to see groups of girls, dressed in colorful clothing, barefoot up and down the canoes singing for tourists, melodies songs in different languages. Around 2,000 descendants of the Uros were counted in the 1997 census. Only a few hundred still live on the islands - most have moved to the mainland.
Image credit paula soler-moya
Reed island, Lake Titcaca. Image credit Randy
Image credit Fernanda
Image credit dario_pablo
Image credit Michael Lemiski
Image credit Shawn Harquail
Image credit Tobias Martin Hughes
Lake Titicaca and the floating islands of Uros. Image credit Daniel Martin
The floating island of Uros. Image credit Christian Haugen
Ritebook: The Uros, Floating Islands of Lake Titicaca, Peru
Ritebook: The Uros, Floating Islands of Lake Titicaca, Peru: Uros Floating Islands on the lake of Titicaca, Peru — One of the earliest pre-Inca cultures of Peru. The Uros Island is one of the most fa...
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Thursday, January 29, 2015
Thank you Obama
ओबामा जी
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
भारत पधारने के लिए !!!
भारत के लोगो का दिल जीतने के लिए
बालिका शिक्षा के लिए समस्त भारत के लोगो को प्रोत्साहित करने के लिए !!
बिल गेट्स की तरह सामाजिक कार्यो के लिए अपनी रूचिजताने के लिए
और
दोबारा भारत आने का वादा करके जाने के लिए !!!
-- एक आम हिंदुस्तानी !!!
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
भारत पधारने के लिए !!!
भारत के लोगो का दिल जीतने के लिए
बालिका शिक्षा के लिए समस्त भारत के लोगो को प्रोत्साहित करने के लिए !!
बिल गेट्स की तरह सामाजिक कार्यो के लिए अपनी रूचिजताने के लिए
और
दोबारा भारत आने का वादा करके जाने के लिए !!!
-- एक आम हिंदुस्तानी !!!
Sunday, January 4, 2015
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S3JOBS is a platform for provide informations related to government related jobs. We always provide latest government job information which provided on governments official websites. we monetize information to our blog for all youth so they can able to get appropriate job as per their skills.
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